हा पादरी, तुमने सही कहा, खतरे में है
भारत का लोकतंत्र (1)
--- अलकेश पटेल (कर्नावती)
5 जून, 2018 को गोवा के आर्क बिशप का
एक पत्र सामने आया। पत्र में उसने भारत में लोकतंत्र खतरे में होने की बात कही।
फिर मुजे याद आया, अगले ही महिने में,
यानी मई 2018 में भी दिल्ली के एक पादरीने ऐसा ही एक पत्र लिखा था।
फिर याद आया, दिसम्बर 2017 में गुजरात
में चुनाव के वक्त गांधीनगर का एक पादरी भी ऐसा ही एक पत्र जारी कर चूका था।
--- इन सभी धर्म के व्यापारीओं की बात
सही है। भारत में लोकशाही खतर में है, लेकिन इसाईयत के यह सभी व्यापारी जो कुछ
बताना भूल जाते है वह मैं बताना चाहता हुं।
दरअसल, भारत में हिन्दूओं के लिए
लोकशाही खतरे में है। और भारत में हिन्दूओं के कारण ही लोकशाही खतर में है।
इसाईयत के व्यापारीओं की कोई गलती
नहीं है, क्योंकि उनकी तो तालीम ही यही होती है कि जो लोग इसाई नहीं है उन्हें
किसी भी तरह, (हा, किसी भी तरह) इसाई बनाओ। और अगर वो नहीं मानते है तो उनको लालच
दो। फिर भी अगर नहीं मानते है तो उनके खिलाफ प्रोपेगेन्डा चलाओ। उसके बाद भी अगर
नहीं मानते है तो ऐसे समाजों के बीच फूट डालो, उन्हें अलग-थलग कर दो और फिर जो
डरपोक है वह इसाई बन जाएंगे। भारत में तकरीबन 300-400 साल से यही तो करते आए है यह
इसाईयत ते व्यापारी !
इसीलिए मैंने कहा, गलती हिन्दूओं की
है। हिन्दू आसानी से बंट जाता है। हिन्दू आसानी से किसी भी लालच में आ जाता है।
क्योंकि हिन्दू धर्मगुरुओं और आरएसएस जैसी हिन्दूवादी संस्थाए सभी हिन्दूओं को
एकजूट नहीं रख पाती। अब क्यों एकजूट नहीं रख पाती उसकी चर्चा आगे इसी श्रेणी में
करेंगे, लेकिन अभी इतना निश्चित है कि यह लोग हिन्दू को एकजूट नहीं रख पाए।
और दुसरा मुद्दा राजनयिक है। राष्ट्रवादी
नेताओं कि सफलता के बाद देश में काफी लोगों को पता चला कि अबतक उन्हों ने जो
राजकीय पार्टीओं को सत्ता दे रखी थी वह लोग देश के लिए कितने खतरनाक थे।
और पादरी, मैं तुमको बता दूं कि तुम
लोगों की चिठ्ठीओं ने इस बात को प्रमाणित कर दिया है कि कांग्रेसी और लेफ्ट
पार्टीयां इस देश के लिए अब तक कितनी घातक साबित हुई है, और हाल के कुछ
राष्ट्रवादी नेता किस तरह देश के स्वाभिमान को फिर से उजागर कर रहे है।
इसाईयत के व्यापारीओं, तुम सब ने मिल
के हिन्दूत्व, भारतीयता और भारतीय राष्ट्रवाद के खिलाफ खुले तौर पे षडयंत्र शुरु
किया है, तो मुझे और मुझ जैसे लोगों को लगता है कि हमें भी तुम्हारे इरादों को
नंगा करना चाहिए।
तो अब मिलते रहेंगे इसी मंच पे (...
क्रमशः) --- अलकेश पटेल (कर्नावती)
(राष्ट्रवादी कार्टूनिस्ट श्री कुरिल का इस विषय के अनुरुप कार्टून उनके सौजन्य से लिया है।)
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